ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
काफिला साथ और सफर तन्हा...


अपने साये से चौंक जाते हैं

उम्र गुज़री है इस कदर तन्हा ...


रात भर बोलते हैं सन्नाटे

रात काटे कोई किधर तन्हा...


दिन गुज़रता नहीं है लोगों में

रात होती नहीं बसर तन्हा...

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