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इक दिल वालों की बस्‍ती थी...

किसी भी लफ्ज़ को दबा कर देखो........................... ........... हर लफ्ज़ के गले से चीख निकलेगी ...

हर नस नस है मेरी ज़ख्मी



दर्द बेचारा सोचता है की कहाँ से उठूँ...
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Crying silence of 'tanha sooraj' through : tanha_sooraj@yahoo.co.uk at 10:52:00 pm

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कोई दिल के खेल देखे, के मोहबतों की बाजी ... ,

... वो कदम कदम पे जीते, मैं कदम कदम पे हारा....


काश! ........... इक 'खास' नजर इन पर भी पड़ती :-







dil ki aawaaj,

tamanna ,

tumhare liye

पिद्दले बरस ये खौफ़ था...

तुझे खो न दूँ कहीं...


अब के बरस ये दुआ है...

तेरा सामना न हो...!

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आज हार भी कहे, तुझे...जीत...मुबारक...

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बेगुनाह मुजरिम...

अपने हिस्से की धूप को तरसते,
किसी की यादों के दरख्त के साए में
अपने पैर के अंगूठे से दायरे बनाते...
और फिर उन्ही दायरों में उलझ कर रह गए
इक बेगुनाह मुजरिम की दास्ताँ ....

आगे क्या लिखा है...?

...अब इन तक्दीरों से पूछने कौन जाये ...???

तकदीर देखूं...
तो इक बूँद नहीं नसीब...!

और प्यास देखूं...
तो समुन्दर की प्यास है...!!!

अब किसने डाली मेरे दर्द पर नजर...

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INTZAAR

awaiting the comments of someone special at :

TANHA_SOORAJ@YAHOO.CO.UK

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dono ney kiya tha pyar, magar...

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xtra...

kabhi kisi ko mukammal jahan nahin milta...

par mukammal to kya...

sunnyb2

kuch bhi to na mila... mujhey...








































































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