धूप है क्या और साया क्या है,
अब मालूम हुआ...
ये सब खेल, तमाशादारी,
अब मालूम हुआ...
हँसते फूल का चेहरा देखूं,
पर भर आई आंख...
अपने साथ ये किस्सा क्या है,
अब मालूम हुआ...
हम बरसों के बाद भी उसको,
अब तक भूल ना पाए...
दिल से उसका रिश्ता क्या है,
अब मालूम हुआ...
सहरा - सहरा प्यास में भटके,
सारी उम्र जगे ...
बादल का इक टुकड़ा क्या है,
अब मालूम हुआ...

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