जीवन कहाँ खत्म हो जाता ...


जीवन जहाँ खत्म हो जाता




उठते-गिरते,


जीवन-पथ पर चलते-चलते,


पथिक पहुँच कर इस जीवन के चौराहे पर,


क्षणभर रुक कर,


सूनी दृष्टि डाल सम्मुख


जब पीछे अपने नयन घुमाता !




जीवन वहाँ ख़त्म हो जाता !



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